Saturday, December 9, 2017

दामिनियाँ 
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मेरी माँ की बेटी खो दी गई,
बाबा के कलेजे को नोच लिया गया।
आज मै अपने नाम से वंचित हो गई ।
दुनिया में दामिनी के नाम से पहचानी गई।
मै छोटी नन्ही दामिनी ,
मुझे बच्ची नही सिर्फ,
शरीर समझा गया।
मेरे कोमल मन को हवस से कुचल दिया गया।
''मेरे अपराधी को मृत्यु नही
मेरे जैसा जीवन दे दिया जाए
उसे सज़ा नही मेरे जैसी पीड़ा दे दी जाए ''
नारे लग के थम जायेंगे।
मोमबत्तीयाँ जल के बुझ जायेगी।
मुझ पर कहानी , कविता लिखी जायेगी।
मुझ पर राजनीति होगी ।
नेता आँसू बहाकर वोट बनायेंगे।
मीडिया चैनलो मे दोड़ लगेगी.
आगे निकल जाने की होड़ लगेगी।
कौन मेरी कहानी पहले दिखायेगा।
कौन सा चैनल नाम कमायेगा।
मुझ पर बहस छिड़ेगी।
न्याय की गुहार लगेगी।
अपराधी की गिनती
सिर्फ कैदी के बिल्लो में होगी।
उनकी सजा की बारी जाने कब आयेगी।।
''मेरे अपराधी को मृत्यु नही
मेरे जैसा जीवन दे दिया जाए
उसे सज़ा नही मेरे जैसी पीड़ा दे दी जाए। ''
अपराधी पर विचार होगा।
खाकी लाचार होगा।
कानून लचर होगा।
देश शर्मसार होगा।
एक दिन सब शांत हो जायेगा।
आंदोलनो के लिये दूसरा मुद्दा मिल जायेगा।
मै अतित बन जाऊँगी।
एक घटना कहलाऊँगी।
मेरे बाद रोज कितनी छोटी बड़ी दमिनी बनती जायेगी।
मेरी पीड़ा लोगो मे चर्चा बन रह जायेगी।
सारी दामिनियों को कौन इंसाफ दिलाएगा।
माँ के बेटों को
हरिसिंह और मनोज बनने से कौन रोक पायेगा।
सिर्फ दिल्ली ही नही दहलती है।
हर गली ,गाँव , कस्बे, नगर ,शहर में
हवस की आग जलती है।
इंसानो की आत्मा मरती है।
''मेरे अपराधी को मृत्यु नही
मेरे जैसा जीवन दे दिया जाए
उसे सज़ा नही मेरे जैसी पीड़ा दे दी जाए ।''
आज मै अपने नाम से वंचित हो गई ।
दुनियाँ में दामिनी के नाम से पहचानी गई।



© अनामिका_चक्रवर्ती अनु