उम्र के एक हिस्से में
दियासलाई रखी हुई थी
किसी रंगीन कपड़े में
लिपटी हुई जिदगी की तरह
आग किसी बारूद की शक्ल में
अपनी ही मादक गंध के
आकर्षण में डूबी थी
जो कपड़े की हर एक
सलवट में समाई थी
जलकर राख में ही
तब्दील हो जाना तय था
मगर जलने से पहले तपना था
किसी खरे सोने की तरह
ऐसा तपना मानों उम्र के हिस्से में रखी
दियासलाई की हर एक तिली
किसी उम्र की तरह जली हो
और रंग चटका हो इस तरह
जैसे डूबते हुए सूरज ने अपने
पंख फैला दिए हों आसमां के
आखिरी तारीख पर जाकर।
#अनामिका_चक्रवर्तीअनु
दियासलाई रखी हुई थी
किसी रंगीन कपड़े में
लिपटी हुई जिदगी की तरह
आग किसी बारूद की शक्ल में
अपनी ही मादक गंध के
आकर्षण में डूबी थी
जो कपड़े की हर एक
सलवट में समाई थी
जलकर राख में ही
तब्दील हो जाना तय था
मगर जलने से पहले तपना था
किसी खरे सोने की तरह
ऐसा तपना मानों उम्र के हिस्से में रखी
दियासलाई की हर एक तिली
किसी उम्र की तरह जली हो
और रंग चटका हो इस तरह
जैसे डूबते हुए सूरज ने अपने
पंख फैला दिए हों आसमां के
आखिरी तारीख पर जाकर।
#अनामिका_चक्रवर्तीअनु