Sunday, October 8, 2017




तुम आना
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बीत जाये जब पौष,

तब आना तुम।
क्योंकि आना है तुम्हें सदा के लिए।

हेमंत ऋतु की शीत पर
विरह की अग्नि में
तापूँगी तुम्हारी प्रतीक्षा।


अनामिका चक्रवर्ती अनु

3 comments:

  1. वाह सुन्दर रचना 💐💐

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  2. पर मै तो स्वतः शिशिर हूँ 😙

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  3. पर मै तो स्वतः शिशिर हूँ 😙

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