Sunday, July 16, 2017

इंतज़ार_


इंतजार का एक एक लम्हा,
जब सूखे पत्तो सा पूरा झर जाता है।
तब बहार आती है
खुशी का रंग हरा हो जाता है
मैं हरे रंग के इंतजार में हूँ,
सूखे पत्तों की पनाह में



©अनामिका चक्रवर्ती अनु


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1 comment:

  1. सुखा पत्ता...जैसे मेरा मन...डाल से उतरा और हवा की गोद में बहता रहा और फिर तुम्हारी हथेलियों पर जा गिरा... पत्ता सूखा था...मन सुखा था...हरा हो गया।

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