Tuesday, July 18, 2017

तुम मिलना_

तुम मिलना मुझे 
उन रास्तों पर कभी
जहाँ से सब के गुजर जाने के बाद 
बहुत अकेला हो रास्ता
हम मिलकर बनेगे उसके पथिक।
तुम मिलना
उस स्वप्न में कभी,
जहाँ सिर्फ तुम
सत्य का शिलान्यास कर सको।
तुम मिलना
नदीं की उस धारा में कभी,
जहाँ चाँद बनकर मिल सको
जल के कण कण में।
तुम मिलना
देवताओं के उस संसार में कभी,
जहाँ वास हो तुम्हारा
आस्था का विश्वास के रूप में।
तुम मिलना
जीवन के उस अंतिम क्षण में कभी,
जहाँ मेरी मुक्ति के लिये
बन सको पवित्र शब्दों का उच्चारण ।



अनामिका चक्रवर्ती अनु

2 comments:

  1. बहुत अकेले रास्ते पर भी किसी का इंतजार किया जा सकता है ?

    ReplyDelete
  2. हाँ किया जा सकता है . जहाँ रस्ते बहुत अकेले हो जाते हैं कभी उनका साथी
    बनकर देखना बहुत सुकून मिलता है ...

    ReplyDelete