नन्हीं गौरैया
जब चहचहाती हो तुम
मेरे घर आँगन में,
लगती हो जैसे
नन्हीं बेटी के पैरो में
छुनछुन करती पायल सी
चुगती हो जब तुम
मेरे घर के अन्न का
मुट्ठी भर दाना
खुश होती तब अन्नपूर्णा सी
तुम प्यारी गौरैया
मेरे बच्चों सी चिरैया
रोज मिलती हो तुम
पहली धूप बनकर
लगती हो तुम
नन्हीं हथेलियों सी
और कभी लगती हो
अबोध मुस्कान सी
जब चहचहाती हो तुम
मेरे घर आँगन में,
लगती हो जैसे
नन्हीं बेटी के पैरो में
छुनछुन करती पायल सी
चुगती हो जब तुम
मेरे घर के अन्न का
मुट्ठी भर दाना
खुश होती तब अन्नपूर्णा सी
तुम प्यारी गौरैया
मेरे बच्चों सी चिरैया
रोज मिलती हो तुम
पहली धूप बनकर
लगती हो तुम
नन्हीं हथेलियों सी
और कभी लगती हो
अबोध मुस्कान सी
अनामिका चक्रवर्ती अनु
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