Monday, February 12, 2018

नन्हीं गौरैया

जब चहचहाती हो तुम
मेरे घर आँगन में,
लगती हो जैसे

नन्हीं बेटी के पैरो में
छुनछुन करती पायल सी


चुगती हो जब तुम 

मेरे घर के अन्न का
मुट्ठी भर दाना 
खुश होती तब अन्नपूर्णा सी

तुम प्यारी गौरैया
मेरे बच्चों सी चिरैया
रोज मिलती हो तुम
पहली धूप बनकर


लगती हो तुम 
नन्हीं हथेलियों सी
और कभी लगती हो
अबोध मुस्कान सी



अनामिका चक्रवर्ती अनु 

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