अनामिका चक्रवर्ती अनु
मैं, मेरा एकांत और मेरी कविताएँ अपनी अनिश्चित जीवन यात्रा पर हैं
Saturday, February 3, 2018
मन यदि सागर हो
प्रेम नदी हो जाना चाहता है
सागर के सीने पर सर रखकर
मन प्राण से डूब जाना चाहती है
अनामिका चक्रवर्ती
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