Monday, February 12, 2018

शापमुक्त


देह से निकली देह,  तुम मात्र देह नहीं हो
तुम्हें देह से स्त्री बनना होगा
तुम्हें वास्ता है उन तमाम स्त्रियों का
जो देह को स्त्री न बना सकी

और स्त्री होने की अतृप्त अभिलाषा मन में लिये
जीवन को अभिशाप की तरह भोगा है
जीवन के आनंद से हमेंशा वंचित रही

 स्त्री बनकर उन्हें शाप मुक्त करना होगा
उनकी आत्मा को मोक्ष दिलाना होगा
तुम्हारा स्त्री होना ही उनका स्त्री होना होगा

क्योंकि स्त्री माने ही सर्वशक्ति है सर्वधर्म है
स्त्री होना ॠणी होना नहीं है प्रकृति होना है
सम्मान और गर्व का प्रतिरूप ही स्त्री है।

स्त्री को देह से मुक्त कर स्त्री हो जाओ
पुरुष प्रधानता की दास या प्रतिदव्ंदी होकर नहीं
परस्पर होनें की प्रतिष्ठा होने को स्त्री होनें दो
देह से मुक्त स्त्री ही स्त्री जीवन का सत्य है।



अनामिका चक्रवर्ती अनु

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